What is Pigment and Their Properties
Pigment- यह एक फाइन पार्टिकल होते है। जो भौतिक रूप से माध्यम या बाइंडर में अघुलनशील होता हैं।इसका आकार 0.4-20 micrometer लगभग होता है।
यह दो प्रकार का होता है।
(A)- Organic Pigment (कार्बनिक पिगमेंट)- ये रंगीन पिगमेन्ट होते है।उदाहरण-.Red Oxide,Ultramarine Blue,Prussian Blue,Bituminus ,Black Pigment,नक्रिएस पिगमेंट, ल्युमिनीपेंट पिगमेंट, एंटीफॉउलिंग पिगमेंट,क्रोम पिगमेंट Etc.
(B)- Inorganic Pigment (अकार्बनिक पिगमेंट)- ये सफेद पिगमेन्ट या रंगहीन पिगमेन्ट होते है।
इसमे कुछ रंगीन पिगमेंट भी पाए जाते है। जैसे- क्रोम पिगमेंट (येलो) । व्हाइट पिगमेंट -टाईटेनियम डाईआक्साइड(Tio2) , जिंंक सल्फाइड (Zns),लिथोपोने,Caco3, Talc Etc.
-Properties Of Pigment-
Paint में पिगमेंट का इस्तेमाल करने से पहले उसके गुणों के बारे में जानकारी ले लेना अतिआवश्यक है, क्योकि पिग्मेंट ही Paint की परफॉरमेंस को निर्धारित करता है।
पिग्मेंट की प्रॉपर्टीज निम्न है।
1-Colour- पेंट में रंग प्रदान करना पिगमेंट का main कार्य होता है। इसलिए हम Colour का चुनाव अपनी इच्छानुसार करते है।
2-Specific Gravity- यह पिग्मेंट के भार के बारे में जानकारी देता है। यदि पिगमेंट की Specific Gravity अधिक है, तो पिगमेंट भारी होगा, यदि कम तो पिगमेंट का भार कम होगा।
अगर पिगमेंट की Specific Gravity का मान ,Vehicle(Binder+Solvent) की Specific Gravity के मान से अधिक है , तो जब पेंट तैयार होगा तो Settling Defect आ जाता है,अर्थात पिगमेंट के पार्टिकल तली पर बैठ जाते है।
इसलिये Vehicle ओर Pigment की Specific Gravity बराबर होनी चाहिए।
*पिगमेन्ट की Specific Gravity 1.8 - 8.8 के बीच होता है।
3-Hiding Power-पिगमेंट द्वारा किसी सतह को छुपाने की क्षमता को Hiding Power कहते है। इसे कवरिंग पावर के नाम से भी जाना जाता है।
*Hiding Power ,Pigment की ओपेसिटी (opacity) पर निर्भर करता है।
4-Oil absorption- आयल की (ml) में वह मात्रा जो 100 ग्राम पिगमेंट के द्वारा Absorb कर ली जाती है। तो इसे Oil Absorption कहते है।
आयल absorption का मान पिगमेंट की मात्रा और उसके आकार पर निर्भर करती है।
5-Durability- इससे यह तात्पर्य है कि पिगमेंट Atmospheric condition जैसे- प्रकाश, वर्षा, नमी , वायु आदि दशाओ में पिगमेंट कितने दिनों तक टिक सकता है,इसे ही पिगमेंट की Durability कहते है।
6-Toxicity- पिगमेंट को इस्तेमाल करने से पहले इस गुण को जान लेना अतिआवश्यक है।क्योकि ,आजकल जहरीले पिगमेंट जैसे-Pb (lead) आदि ,को प्रयोग करने में रोक लगाई जा चुकी है।
लेकिन फिर भी जो पिगमेंट इस्तेमाल किये जा रहे है, वो भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते है।
अतः पेंट बनाते समय सावधानी बरतनी चाहिए।
-Step Of Pigment Manufacture-
पिगमेंट बनाने के निम्न स्टेप है, जो निम्न है।
Step1- सबसे पहले जो पिगमेंट खनिज के रूप में प्राप्त होता है, उसे ग्राइंडिंग करके छोटे छोटे partical अर्थात पाउडर के फॉर्म में पीस लेते है।जैसे- बेराइट्स, Talc etc.
Grinding Process निम्न Mill में सम्पन्न कराया जाता है।
1-Edge Runner Mill
2-Flat stone mill
3-Ball Mill
4-Micronizer Mill
आदि Mill में पिगमेंट की Crushing किया जाता है।
Step2- Grinding Process के बाद Precipitation process कराया जाता है।
इस प्रक्रिया में खनिज रूप में पाए जाने वाले पिगमेंट की ग्राइंडिंग के बाद कलर स्ट्रेकिंग कराई जाती है, यह प्रक्रिया बड़े बड़े टैंको में कराई जाती है। फाइनल प्रोडक्ट बनाकर सुखा लेते है। जिससे हमें लिथोपोन आदि पिगमेंट प्राप्त होता है।
Step3- step second के बाद pigment के Raw Material को उच्च ताप पर गर्म करते है।
इस प्रक्रिया को निम्न भट्ठियों में सम्पन्न कराई जाती है।
जैसे- मफल भट्टी ,रिवेरबरेटरी भट्ठी आदि में कराई जाती है।जिससे हमें क्रोमियम आक्साइड ,Ultramarine Blue etc.
Step4- Step third के बाद अर्थात raw material को गर्म करने के बाद उसकी वाष्प इक्कठा करके वाष्प को ठंडा कर लेते है। इसके बाद वाष्प pigment के रूप में परिवर्तित हो जाती है। जैसे-Zns etc.
अब इसके बाद पिगमेंट ,Paint बनाने के लिए तैयार हो जाता है।
Disclaimer- इस पोस्ट में पिगमेंट, पिगमेंट के गुण और पिगमेंट कैसे बनाया जाता है,इस पोस्ट में Short में लिखा गया है, इस पोस्ट का उद्देश्य यही है कि एक-दूसरे तक पेंट और पिग्मेंट का नॉलेज शेयर करना है।
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